Posts

सांस फूलना क्या है ? सांस क्यों फूलता है ?

सांस फूलना क्या है ? सांस क्यों फूलता है ?   सांस लेना जीबन को बनाये रखनी बालि मुलभुत क्रिय है ,हमारे अस्तित्व के लिए इतनी अन्तर्निहित प्रक्रिया है की इसका  महत्व अक्सर ओन देखा हो जाता है ,जब तक की यह समझौता न हो जाये ,डिस्पेनिया या सांस की तकलीफ,हमारे जीबन मैं सांस लेने की महत्वपूर्ण भूमिका की एक स्पस्ट याद दिलाती है,इस लेख मैं हम डिस्पेनिआ  की  जटीलताओं का पता  लगते है,इसके बिबिध अभीब्यक्तियों ,कारणों  ट्रिगर्स और राहत के लिए राणनीतियों को कबर करते है। आईये बिकार  सुरु करके सुरु करे .  सांस फूलना क्या है ?  डिस्पेनिआ  जिसे आम तर पर सांस की तकलीफ के रूप मैं जना जाता है , साँस लेने मैं तकलीफ या कठीनाई के एक ब्यक्तिपरक अनुभूति है . सांस फूलने हबा की कमी या अपर्याप्त बायु प्रबाहा की अनुभूति की बिसेसता बाले डिस्पेनिआ  स्वसन या हृदय प्रणाली को प्रभाबित करने बाली कई अन्तर्निहित स्तितियों , अनिमिआ , कम ( हिमो ग्लोबिन )के साथ  साथ शारीरिक परिश्रम चिंता डी  कंडीसनिंग (कम सहन शक्ति ) या परयाबरनिय प्रभाबो जैसे कारको के परिणाम स्वरु...

इन्सेक्ट फोबिया किट भय का निदान कैसे किया जाता है ?

Image
 इन्सेक्ट फोबिया किट भय का निदान कैसे किया जाता  है ?  यदि किट भय ( एटोमोफोबिया ) आपके जीबन को प्रभाबित करता है , तो आपका स्वस्त सेबा प्रदाता आपको किसि मानसिक , स्वास्त्य पेसेबर,जैसे की मनोबैज्ञानिक से  परामर्ष लेने की सलाह दे सकता है . अमेरिकन साइक्रियाट्रिक एसोसिएशन की मानसिक बिकारो के निदान और सांख्यिकी नियमाबलि ( डीएसएम ) किट भय को एक फोबिया के रूप मैं मान्यता नहीं देती है . लेकिन एक मनोबैज्ञानिक आपके लक्ष्यणो के बारे मैं पुछने के बाद आपको इस रोग से पीड़ित बता सकता है .   यदि आपको कीड़ो से डर लगता है,तो संभबत :आपको बिसिस्ट फोबिया  सम्बन्धी बिकार है .   1 . यह तब होता है जब आप कीड़ो के बारे मैं सोच ते है या उन्हें देखते है .  2 . इस से आप पार्क जाने या हाईकिंग पर जाने जैसी स्तितियों से बच ने लगते है .  3 . इसकी बजह से आप सामाजिक कार्योंक्रमो मैं शामिल नहीं हो पाते .  4 . यह आपके जीबन का आनंद लेने की क्षमता को प्रभाबित करता है .  5 . यह चिंता या भय के ऐसे लक्ष्यन उत्त्पर्ण करता है जो बास्तबिक खतरे से मेल नहीं खाते  ।  6 . ...

कीड़ो को क्यों डर लगता है ? कीड़ो का फोबिया क्यों होता है ?

Image
कीड़ो को क्यों डर लगता है ? कीड़ो का फोबिया क्यों होता है ?   किट भय( एटोमोफोबिया )कीड़ो का डर है . इस भय से पीड़ित लोगो कीड़ो के बारे मैं सोचना या उन्हें देखने पर बेचेंन  हो जते है . कोई लोगो को कीड़े से जुड़े दर्दनाक अनुभब हुए होते है . एक्सपोज़र थरेपी । कोग्निटिव बिहेबियरल थेरेपी और हिन्नोथेरेपी जैसी कई चिकिस्या पद्धतियों से इस भय को दूर किया जा सकता है .   किट भय क्या है ? किट भक्की भय से ग्रस्त लोगो को कीड़ो से डर  लगता है . ऐसे ब्यक्ति को कीड़े ,मकोड़े, को देखने या उनके बारे मैं सोचने पर अत्यधिक  चिंता या भय हो सकता है . बे बहार टहलने या बयांम करने से बच सकते है . और भरी कार्य क्रम से दूर रह सकते है . कुछ लोगो कीड़ो को देखने की सम्भाबना को कम करने के लिए घर  से बाहर  निकलना ही बंद कर देते है .   किट भय (एटोमोफोबिया ) के अन्य  नाम क्या है ?  किट भय को अन्य नामो से भी जाना जाता है . आप इस भय को इन नामो से भी सुन सकते है .  1 . एकारोफोबिआ ( गर्मी से डर )  2 . कीड़ो से डर ( इंसेक्टोफोबिया )    फोबिया क्या होता है ?   फोबिय...

पार्किंनसन रोग का निदान कैसे किया जाता है ?

Image
पार्किंनसन रोग का निदान कैसे किया जाता है ?  पार्किंसन रोग का निदान मुक्ष्य रूप से एक नैदानिक प्रक्रिया है ,जिसका अर्थ है की यहकाफी हद तक स्वास्त्य सेबा प्रदता द्वारा आपके लक्ष्यणो की जाँच,प्रश्न पूछने और आपके चिकिस्या इतिहास  की  समीक्ष्य पर निर्भर करता है . कुछ नेदानीक और प्रयोग शाला परीक्ष्यंन सम्भब है,लेकिन इनका आबश्यकता आम तर पर अन्य स्तितियों या बिसिस्ट कारनो  को ख़ारिज करने के लिए होती है .  लेकिन ज़्यादातर प्रयोग शाला परीक्ष्यंण  तब तक आबश्यक नहीं होते जब तक की आप पारकिंसन रोग के उपचार के प्रति प्रति क्रिया न दे , जो किसी अन्य स्तिति का संकेत हो सकता  है .  इस स्तिति का निदान करने के लिए कोन  -कोन  से परीक्ष्यंण  किये  जायेंगे? जब स्वास्त्य सेबा प्रदाताओं को पार्किनसन रोग का संदेह होता है या अन्य स्तितियों को ख़ारिज करने की आबश्यकता होती है , तो बिभीन्न इमेजिंग और नैदानिक परीक्ष्यण  सम्भब है. इन मैं शामिल है   1 . रक्त परीक्ष्यंण  (ये पार्किंसन के अन्य रूपों को ख़ारिज करने मैं मदत कर सकती है) .  2 . कंप्...

पार्किंसन रोग क्या है?कैसे होता है पार्किंसन रोग ?

Image
 पार्किंसन रोग क्या है?कैसे होता है पार्किंसन रोग ?  पार्किंसन रोग उम्र से सम्बंधित एक मस्तिक  की अपक्षयी बीमारी है ,जिसका अर्थ  है की यह मस्तिक के कुछ हिस्सों को ख़राब कर देती है . यह धीमी गति , कम्पन , संतुलन सम्बन्धी समस्याओं और अन्य लक्ष्यणो के लिए जानि जाती है . अधिकांस  मामले अज्ञात करने से होते है . लेकिन कुछ आनुबंसिक होते है , यह बीमारी ला इलाज  है , लेकिन इसके कई उपचार बिकल्प उपलब्ध  है .  पार्किनसोन रोग क्या है ?  पार्किंसन रोग एक ऐसी स्तिति है जिस मैं मस्तिक का एक हिस्सा धीरे - धीरे ख़राब होने लगता है,जिसे समय के साथ लक्ष्यन और भी गंभीर हो जाते है . यह रोग मुक्ष्य रूप से मांस पेशियों पर नियंत्रण , संतुलन , और गति को प्रभाबित करने के लिए जाना जाता है,लेकिन यह आपकी इन्द्रियों , सोच ने की  क्षयमता , मानसिक स्वास्त्य और अन्य कोई चीजों पर भी ब्य्पक  प्रभाब डाल सकता है.    इसे किसे फर्क पड़ता है ?  पार्किंसन रोग होने का खतरा उम्र के साथ स्वभाबिक रूप से बढ़ता है , और इसके सुरु होने को औसत उम्र 60 बर्स है यह पुरुसो म...

ठंडे सीजन मैं कौन सा पानी नहाना चाहिए ठन्डे या गर्म पानी ?

Image
 ठंडे  सीजन मैं कौन सा पानी नहाना चाहिए ठन्डे या गर्म पानी ? ठण्ड का मौसम आते ही सुबह कोई लोग एक सबाल से जूझते है की नहाना है भी या नहीं ?  अगर हिम्मत कर के नहाने  का मन बना  भी लिया ,तो अगला सबाल सामने होता है गर्म पानी से नाहये या ठंडा  पानी से .  कई लोग कहते है,ठण्ड मैं गर्म पानी नहाना बेहतर है ,उनका कहना है की इसे सरीर को राहत मिलती है . थकान उतर जाती है और ठण्ड से बचाब होता है .  लेकिन दूसरी तरफ  कुछ लोगो ये भी मानते है की गर्म पानी से नहाना  स्किन को ड्राई कर देता है . बालो को नुक्सान पहुंचता है और सरीर की नेचुरल आयल लेयर ख़त्म कर देता है .  तो आखिर सच्चाई क्या है ? की हमें हर मौसम मैं ठन्डे पानी से नहाना चाहिए या ठण्ड मैं गरम  पानी से नहाना बेहतर है ?  आईये जानते है क्या कहते बीसेसज्ञ ?   इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ साइंटिफिक रीसर्च एंड इंजीनियरिंग  डेवलपमेंट मैं  2022 मैं  छपी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक सरीर के बाहरी सतह पर केरेटिन सेल्स होती है .  गर्म पानी से नहाने पर इन सेल्स  को नुकसान पहु...

आँखों की रौशनी क्यों कम हो जाती है धीरे -धीरे ? और इसका लक्ष्यन क्या है?

Image
 आँखों की रौशनी क्यों कम हो जाती है धीरे -धीरे ? और इसका लक्ष्यन क्या है? कुछ लोगो की आँखों की रौशनी धीरे - धीरे कम होने लगती है . डॉक्टर से जानते है इसका  कारन और इलाज  सरीर के अन्य हिस्सों की तरह आँखों को भी बिसेष देख भाल की आबश्यकता होती है . लेकिन आज के समय मैं कई कारणों  मैं से लोगो मैं आँखों से रौशनी से जुडी कई समस्या  तेजी से बढ़ने लगी है . आँखों के रौशनी कम होने के कारन डाइट मैं पोशाक तत्व की कमी भी एक बड़ा कारन मानी जा सकती है . कुछ लोगो को रौशनी तेजी से जाती है,तो कुछ लोगो की रौशनी धीरे - धीरे कम होने लगती है . इन दोनों ही स्तितियों के कारन अलग - अलग हो सकते है . इस बिसय पर पुणे स्तित मणिपाल अस्पताल के नेत्र रोग बीभाग की डॉक्टर कृति सुधा ने बताया की आँखों की रौशनी धीरे - धीरे कम होने के क्या कारन होते है और इसका इलाज कैसे किया जा सकता है .   उम्र के साथ साथ मस्कुलर डीजनरेशन   उम्र बढ़ने के साथ कुछ लोगो की आँखों की रौशनी भी काम हो जाती है . यह समस्या तब होती है,जब रेटिना के हिस्से मेक्यूला मैं समाया के लिए क्ष्यति होने लगती है .  मोतिया...